Bel patra Archan2019-04-18T11:05:45+00:00

Bel Ptara Archan / बेल पत्र अर्चन

Belpatra is called ‘Bilvapatra’ in Sanskrit. It is very dear to Lord Shiva. It is believed that Lord Shankar’s mind is cold with belpatra and water. They are very happy after using them in Pooja.Such instructions have been given in our theology, which can also protect nature completely while following the religion. This is the reason that certain rules related to breaking flowers and belpatra to be offered to deities are made.

बेलपत्र को संस्कृत में ‘बिल्वपत्र’ कहा जाता है. यह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.

हमारे धर्मशास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह प्रकृति की रक्षा भी हो सके. यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं.

Circular rules for belpatra:

1. Do not break the belpatra on Chaturthi, Ashtami, Navami, Chaturdashi and Amavasya Dates, during Sankranti and on Monday.
2. The belpatra is very dear to Lord Shankar, so it should be given a letter broken before these dates or times.
3. It has been said in the scriptures that if the new belpatra can not be found, then the belpatra offered by someone else can also be used and used several times.Please return again to Vilnius R.P.If not, please do not hesitate.
अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।

शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (Skand Purana).
4. By choosing from a sprig, it should be broken only by the braided, never to break the entire sprig. The belpatra should be broken so carefully that there is no harm to the tree.
5. The tree must be bowed before and after breaking the belpatra.

बेलपत्र तोड़ने के नियम:

1. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथ‍ियों को, सं‍क्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें.

2. बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथ‍ियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए.

3. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।

शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)

4. टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए. पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे.

5. बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.

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